क्या आप जानना चाहते है कि रोली मौली किसे कहते है? (Roli Moli Kise Kahate Hain) यदि हाँ आज मैं आपको इस पोस्ट में रोली मोली के बारे में सारी जानकारी देने वाला हूँ |
हम सब यह तो जानते है कि रोली एवं मोली दो अलग-अलग चीजे है | परंतु बोलने के हिसाब से रोली व मोली को एक साथ बोला जाता है |
मैं यहाँ पर रोली व मोली दोनों को अलग बताने वाला हूँ कि रोली क्या है तथा मोली क्या है?

रोली किसे कहते है?
हिन्दू धर्म में जब कोई मेहमान आता है तो उनके सिर पर तिलक किया जाता है | तिलक करने हेतु जिस पदार्थ का प्रयोग किया जाता है उसे रोली कहते है |
रोली हल्दी व चुने की लाल बुकनी को मिस करके बनाया जाता है | रोली का रंग लाल होता है |
आप भाषा में रोली को कुंकुम भी बोला जाता है | कुमकुल एवं रोली दोनों एक ही चीज है परंतु सिंदूर व रोली अलग-अलग है | सिंदूर व रोली को उनके रंग से आसानी से पहचाना जा सकता है |
रोली का प्रयोग घरों व मंदिरों में पुजा के दौरान माथे पर तिलक करने के काम में लिया जाता है | रोली से तिलक करना शुभ माना जाता है | इसलिए शुभ कार्यों में भी रोली से माथे पर तिलक किया जाता है |
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रोली बनाने की विधि
वास्तविक एवं शुद्ध रोली का निर्माण हल्दी व चुने के द्वारा होता है |
हल्दी की गांठों को कई दिनों तक चूने के पानी में डुबा कर रखा जाता है | उसके बाद इसे निकाल कर सुखाया जाता है | चूने के क्षार के असर से हल्दी की गांठें लाल सुर्ख हो जाती हैं |
सूखने के बाद से बारीक पीस लिया जाता है | पीसने के बाद रोली तैयार हो जाती है |
यदि आप रोली अपने घर पर बनाना चाहते है तो रोली को घर पर आसानी से बना सकते हैं।
रोली घर पर बनाने के लिए आपको लगभग 50 ग्राम बारीक़ पिसी हुई हल्दी व दो चम्मच खाने के चूने को एक कटोरी पानी में मिलाकर घोलें तथा पतला पेस्ट बना लें | फिर यह पेस्ट लाल रंग का हो जाएगा।
इस पेस्ट को अगले 2 घंटे तक किसी थाली में सूखा लेवे तथा बाद में हाथ से रगड़कर चूर्ण बना लेंवे। लो आपकी रोली तैयार |

मौली किसे कहते है?
वह धागा जो कलाई पर बांधा जाता है उसे मौली कहते है | मौली को कलाई पर बांधने के कारण इसे कालवा भी कहा जाता है | कलाई के अलावा मौली को मन्नत मांगते समय देवताओं के स्थान पर भी बांधने में काम लिया जाता है |
मौली का शाब्दिक अर्थ ‘सबसे ऊपर’ होता है | इसके अलावा मौली का अर्थ सिर से भी लिया जाता है | भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा विराजमान है इसलिए चंद्रमा को चंद्रमौली भी कहा जाता है |
मौली के धागे में कुल दो रंग के धागे होते है | इन धागों का रंग लाल व पीला होता है | कैसी मौली में कुल 3 व 5 रंग के धागे भी हो सकते है | मौली को उपमणिबंध के नाम से भी पुकारा जाता है |
मौली एक धागा होता है जिसे रक्षा सूत्र भी कहते है | क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मौली बांधने पर उस व्यक्ति के लिए यह रक्षा-सूत्र के रूप में काम करता है |
प्राचीन काल में यज्ञ के दौरान मौली बांधने की परंपरा थी तथा अब मांगलिक कार्यों एवं शुभ कार्य की शुरुआत में हाथ पर मौली बांधना एक परंपरा है |
देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों अपने पति की रक्षा के लिए राजा बलि के हाथ की कलाई पर मौली बांधी थी तब से मौली को रक्षा सूत्र कहा जाने लगा |

मौली बांधने का मंत्र
मौली बांधने का मंत्र नीचे लिखा जा रहा है | मौली बांधने समय इस मंत्र को अवश्य बोलता चाहिए |
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वामनुबध्नामी रक्षे मा चल मा चल |
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मौली बांधने का नियम
औपचारिक रूप से मौली बांधने के कोई विशेष नियम नहीं है परंतु ऐसा बताया जाता है कि अविवाहित लोगों के दाएँ हाथ पर मौली बांधी जाती है तथा शादीशुदा लोगों के बाएँ हाथ के मौली बांधी जाती है |
जिस हाथ पर मौली बांधी जाती है तो मौली बांधते समय उस हाथ की मुट्ठी बंद होनी चाहिए तथा दूसरा हाथ सिर के ऊपर होना चाहिए |
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रोली मौली से संबन्धित पूछे जाने वाले प्रश्न
मौली धागा क्यों बांधा जाता है?
मौली बांधने का सबसे महत्वपूर्ण कारण रक्षा सूत्र के रूप में माना जाता है | ऐसा बताया जाता है कि मौली बांधने से उस व्यक्ति की हमेशा रक्षा होती है तथा आपने वाले संकट दूर हो जाते है |
कुंकुम तथा रोली में क्या अंतर है?
कुंकुम तथा रोली दोनों एक ही चीज है |
रोली का क्या उपयोग है?
रोली का माथे पर तिलक लगाया जाता है |
अंतिम दो लाइन
आज आपने जाना कि रोली मौली किसे कहते है? (Roli Moli Kise Kahate Hain) इस पोस्ट मे रोली व मौली दोनों के बारे में विस्तार से बताया गया है | आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी |
Thank you for your information